स्वामी विवेकानंद जी के रोचक तथ्य
स्वामी विवेकानंद जी के रोचक तथ्य
1. स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 में कलकता (कोलकाता) में 6 बजकर 33 मिनट 33 सेकेन्ड पर हुआ था | हमारा देश प्रत्येक वर्ष उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाता है |
2. स्वामी विवेकानंद जी का जन्म कलकता (कोलकाता) के एक बंगाली रूढ़िवादी हिन्दु परिवार में हुआ था जिसमे उनके पिताजी विश्वनाथ दत्ता ब्रिटिश शासन में कलकत्ता (कोलकाता) हाई कोर्ट में कार्यरत थे और उनकी माताजी भुवनेश्वरी देवी गृहिणी थी।
3. स्वामी विवेकानंद जी के जन्म के समय कलकत्ता (कोलकाता) ब्रिटिश शासित भारत की राजधानी हुआ करता था |
4. स्वामी विवेकानंद जी के बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्ता था जिन्हें वेद, उपनिषद, भगवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराण जैसे हिन्दू ग्रंथो के ज्ञान को अर्जित करने में काफी रूचि थी |
5. स्वामी विवेकानंद जी ईश्वर चन्द्र विद्यासागर इंस्टिट्यूट में पढाई करके प्रेसीडेंसी कॉलेज से एंट्रेंस की परीक्षा पास की। उन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज से पश्चिमी इतिहास और पश्चिमी दर्शनशास्त्र का भी अभ्यास किया था और वर्ष 1884 में उन्होंने अपनी बी.ए. से बैचलर की डिग्री पूर्ण की।
6. स्वामी विवेकानंद जी अपने पिताजी की मृत्यु के बाद परिवार की गरीबी के कारण अपनी माँ और 9 भाई- बहनो को पर्याप्त भोजन कराने के लिए दो दो दिनों तक भूखे रहते थे |
7. उस समय स्वामी विवेकानंद जी बी.ए. से बैचलर की डिग्री होने के बाद नौकरी पाने के लिए संघर्षरत थे जिसकी वजह से उनका भगवान से विश्वास डगमगा चुका था और वो लगभग नास्तिक हो गये थे |
8. स्वामी विवेकानंद जी की बहन जोगेंद्र्बाला ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया था |
9. स्वामी विवेकानंद जी अपनी माँ को सदा पूज्यनीय मानते थे और जीवनभर उनकी पूजा करते रहे |
10. स्वामी विवेकानंद जी युवा अवस्था तक आते–आते आध्यात्म की ओर बढ़ते चले गये | उनका साधु – संतो से भी लगाव बेहद गहरा हो चुका था |
11. स्वामी विवेकानंद जी ने ईश्वर को पाने की लालसा के कारण ब्रम्हसमाज की ओर अपना रुख किया जहाँ वो हमेशा लोगो से उनके भगवान और धर्म पर विचारो को पूछते है, लेकिन किसी भी व्यक्ति का जवाब उन्हें संतुष्ट नही कर पाता था |
12. स्वामी विवेकानंद जी की नवम्बर 1881 में पहली बार स्वामी रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात हुई जिनसे अध्यात्म से जुड़े अपने प्रश्नों के उत्तर पाकर उन्होंने उनको अपना गुरु मान लिया था |
13. स्वामी विवेकानंद जी को बचपन से ही जानवरों और पक्षियों से बहुत प्यार था जिसके कारण उन्होंने गाय, बन्दर, बकरी और मोर आदि पाल रखे थे |
14. स्वामी विवेकानंद जी अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस कभी भी पूर्ण रूप से विश्वास नहीं करते थे और प्रत्येक बात पर अपने गुरु की परीक्षा लेकर अंतत: अपना उत्तर प्राप्त करके ही रहते थे।
15. स्वामी विवेकानंद जी कई महिलाओं को देखने में बहुत आकर्षिक लगते थे जिसके कारण वो सभी गलत नियत के साथ उनसे मित्रता करने की इच्छुक रहती थीं पर वो अपने पूरे जीवन में वो कभी इसके लिए तैयार नहीं हुए |
16. स्वामी विवेकानंद जी ने 16 अगस्त 1886 को अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु के बाद उनके मठ को पहले बारानगर और फिर वर्ष 1899 में बेलूर में स्थानांतरित किया जो आज भी पूरे विश्व में बेलूर मठ के नाम से प्रसिद्ध है |
17. स्वामी विवेकानंद जी ने वर्ष 1888 में मात्र 25 वर्ष की आयु में ही गेरुहा वस्त्र धारण करके पैदल ही भारत भ्रमण करके अलग-अलग तरह के लोगो के साथ मुलाकात की और उनके बारे में जाना |
18. स्वामी विवेकानंद जी को यह नाम खेत्री के महाराजा अजित सिंह ने दिया था।
19. स्वामी विवेकानंद जी जुलाई 1893 में विश्व सर्व धर्म सम्मलेन में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करने के लिए शिकागो गये थे जिसमे कुछ कारणों से पहले बोलने का अवसर नही दिया गया लेकिन कुछ समय बाद प्रोफेसर जॉन हेनरी की सहायता से उन्हें बोलने का मौका मिल ही गया था |
20. स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो में 11 सितम्बर 1893 को विश्व धर्म सम्मलेन के दौरान अपने भाषण की शुरुवात “मेरे अमरीकी भाइयों एवं बहनों से की जिसको सुनते ही वहा उपस्थित करीब 7 हज़ार लोगो ने उनके लिये खड़े होकर जोरो से तालिया बजायी।
21. स्वामी विवेकानंद जी ने शिकागो में अपने भाषण के बाद पूरे विश्व में भर में काफी भाषण दिए और बहुत लोगो से मुलाकात की |
22. स्वामी विवेकानंद जी ने 1897 में भारत रामकृष्ण मिशन की स्थापना की और सामाजिक मुद्दों पर भाषण देकर महात्मा गांधी, सुभास चन्द्र बोस जैसे नेताओ को काफी प्रभावित किया था |
23. स्वामी विवेकानंद जी ने अपनी एक भविष्यवाणी में कहा था कि वे 40 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर सकेंगे। उनकी यह बात तब सच साबित हो गई जब 4 जुलाई 1902 को उनकी मृत्यु 39 वर्ष की आयु में तीसरी बार दिल का दौरा से बेलूर मठ में हुई थी ।
24. स्वामी विवेकानंद जी हमेशा से ही ज़रूरतमंदों की सेवा करने में इतना तल्लीन रहते थे कि उन्होंने कभी भी अपनी सेहत पर ध्यान ही नहीं दिया जिसके कारण वो मात्र 39 वर्ष की आयु में ही 31 बीमारियों से ग्रसित हो गये थे |
25. आज भी स्वामी विवेकानंद जी की लिखी हुई किताबे जैसे कि कर्म योग (1896), राज योग (1896), वेदांत शास्त्र (1896), कोलम्बो से अल्मोरा तक के भाषण (1897), भक्ति योग इत्यादि को लोग बहुत दिलचस्पी से पढ़ते है |
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