फांसी की सजा से जुड़े रोचक तथ्य
फांसी की सजा से जुड़े रोचक तथ्य
1. फांसी की सजा सुनाने के बाद फैसला देने वाला जज खुद ही पेन की निब तोड़ देते है | वो ऐसा इसीलिए करते है क्योकिं इस पेन से किसी का जीवन खत्म हुआ है तो इसका कभी दोबारा प्रयोग ना हो | पैन की निब तोड़े जाने के बाद खुद जज साहब भी अपना फांसी की सजा सुनाने वाला निर्णय नहीं बदल सकते।
2. फांसी की सजा देते वक़्त उस जगह पर जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, जल्लाद और डाॅक्टर का मौजूद होने अनिवार्य होता है |
3. फांसी की सजा देने से पहले अपराधी के चेहरे को काले सूती कपड़े से ढक दिया जाता हैं और 10 मिनट के लिए फांसी पर लटका दिया जाता हैं फिर डॉक्टर के परिक्षण के बाद मृत शरीर को फांसी के फंदे से उतारा जाता हैं।
4. फांसी के फंदे की मोटाई और लम्बाई के लिए भी कानून द्वारा कुछ मापदंड तय किये गये है |
5. फांसी की सजा की पूरी प्रक्रिया हमेशा सूर्योदय से पहले पूरी कर ली जाती है जिससे फांसी की वजह से किसी कैदी पर बुरा प्रभाव ना पड़े और जेल में रोज के कार्य निर्धारित समयनुसार चलते रहे |
6. फांसी की सजा से पहले जेल प्रशासन को कानून अनुसार अपराधी से उसकी आखिरी इच्छा पूछकर उसको पूरा करना पड़ता है जिसके तहत वो उसके कुछ खाने, कोई किताब पढ़ने या उसके परिवार से मिलने की अनुमति दे सकते है |
7. फांसी की सजा से पहले अपराधी को सुबह-सुबह जल्दी उठाकर नहाने के लिए ठंडा और गर्म दोनों तरह का पानी दिया जाता है और उसके धर्म से जुड़ी किताबें प्रार्थना करने के लिए भी दी जाती हैं ।
8. फांसी की सजा देने से पहले कानून अनुसार अपराधी के घर परिवार को 15 दिन पहले ही इस बात की खबर मिल जानी चाहिए जिससे वो लोग आकर उससे मिल सकें ।
9. फांसी की सजा देने के लिए कानून अनुसार फाँसी का फंदा कहीं बाहर से नहीं मंगवाया जाता है बल्कि उसके लिए फाँसी का फंदा जेल में ही सज़ा काट रहा कोई कैदी ही तैयार करता है ।
10. भारत में फांसी की सजा देने के लिए जल्लाद का प्रयोग किया जाता है जिसको कानून अनुसार पूरा खर्चा भी जेल प्रशासन द्वारा दिया जाता है |
11. भारत में फांसी की सजा के लिए उपयोग होने वाले फंदे बिहार की बक्सर जेल में तैयार किये जाते है क्योंकि वहां के कैदी फंदे बनाने में काफी माहिर माने जाते है |
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